Monday, December 18, 2017

रात भर चाँद तारे Comments

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रात भर चाँद तारे एक-दूजे को देखते रहे,
न तारों में एक ने कहा, न कुछ चाँद ने कहा।
सागर में दिन -भर हम आज तरँग गिनते रहे,
उन सभी का सागर समाने का बस उमँग रहा।
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Dr. Navin Kumar Upadhyay
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