शाँति-सुख वैभव-प्रदायी हे देव रवि! सँकल्प बना दें दृढ़ निश्चयकर,
आत्म-प्राण शक्ति परिपूण^ बने, सब बिधि हो मँगलमय हितकर।
तन-मन-वचन सहित हम करते, आप श्रीगुरुदेव में समर्पण,
स्वीकार करें मुझे हे देव भास्कर! चाहता 'नवीन' आप श्रीगुरु चरण शरण।।
...
Read full text