Monday, December 18, 2017

एक तुम ही तो हो कृष्ण Comments

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चलपड़ेथे कई विचारों के मंथन संग,
बहगए थे अनजानएक बहाव सेहम
न आसमा दिख रहा न ज़मीं दिख रही थी
न ही एहसास कोई न ही मन में कमी थी
...
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Pushpa P.
COMMENTS
Rajnish Manga 23 December 2017

जीवन की अस्थिरता में तथा मुश्किलों में जब मनुष्य को कोई रास्ता नहीं सूझता तो वह अपने आराध्य देव की शरण में आता है. इस कविता में इसी परिदृश्य का वर्णन है तथा समाधान भी सुझाया गया है. अतिसुन्दर.

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Pushpa P Parjiea 26 September 2019

Thank you bhai..

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Pushpa P Parjiea 26 September 2019

Thank you bhai...

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