तुम वसंत मेरे Poem by Raj Swami

तुम वसंत मेरे

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तुम वसंत मेरे,
मैं पतझड़ हुँ तेरी।

थक हार कर सोती हुँ,
मेरे सपनों में आते हो।

तुम वसंत मेरे

दिल में लहर सी उठती है,
आँखों में स्याही घुलती है।

बिन कलम लिखने लगते हो,
तुम वसंत मेरे जज़्बात।

राज स्वामी(राजेश)

Sunday, February 2, 2020
Topic(s) of this poem: love,love and dreams
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सुंदर प्रेम की गाथा
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