महत्व इर्ष्या का भी था, महत्त्व था प्रेम का भी, ये सूचित है हमें,
राग रंजित थे, श्रृंगार वर्जित थे, ये सूचित है हमें,
कुछ जातक जो विचित्र हो गए थे सत्ता के अहंकार में,
वो महत्वहीन मुर्दे है, तुम विचलित ना हो..............
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Aapki Kavitha bahuth acchhi hai..Loved reading it.