तुम बारिश की बूंदों की तरह, हमेशा,
जिन्दगी की तपिश दूर करती रही,
मै अक्खड़ रेत जैसा, हर हवा के झोंके के साथ बिखरता गया,
जो तुम थी चंद लम्हात मुझमे समाई हुई, तब तलक ही तो थमा था मै,
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Beautiful write.. Something quiet different..I really loved it.....
:) Geetha, Thanks a lot!