Thursday, July 20, 2017

ऐ जिंदगी Comments

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बेधड़क, बेहिचक, उल्लास के साथ जीती हूँ मैं
ऐ जिंदगी।
चारदीवारी​ के बीच बैठे उदास, हठी को भी खिलखिला देती हूँ मैं
ऐ जिंदगी।
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Larika Shakyawar
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Rajnish Manga 20 July 2017

एक युवा ह्रदय की उमंग व एक उन्मुक्त जीवन का हर्ष और उल्लास इस कविता में साफ़ नज़र आता है. बहुत सुंदर. धन्यवाद. उछलती, कूदती / हर दिन हर्षोल्लास के साथ बिताती हूँ, तुझे जी भर के जीती हूँ मैं / ऐ जिंदगी।

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Larika Shakyawar

Larika Shakyawar

Rajgarh M.P., India
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