Wednesday, June 26, 2013

कैफ़ियत Comments

Rating: 0.0

तेल की दरकार है न जुस्त्जु दियासलाई की,
शमा को उम्र मिलती है परवाने की आह से।

रंग से रौनक है न खुश्बू से है कशिश,
हुस्न है मयस्सर गुल को भंवरे की चाह से।
...
Read full text

Jaideep Joshi
COMMENTS
Close
Error Success