जुस्तजु थी बनाएं एक आशियाँ तूफ़ानों के उस पार
हकीकत से रु-ब-रु हो, मौजों को ही घर कर लिया।
ख्वाहिश थी कि ढूँढें एक रास्ता दुश्वारियों के बीच
तल्ख़ सच्चाइयों के मद्देनज़र, शोलों को डगर कर लिया।
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