आज बैठे हैं हम इस दुनिया से हार के
हर चेहरे पर उभरी है रंगत हमे मार के
अब तो ख्वाबों में भी नहीं होती मुलाक़ात
रातों को देखते हैं सपने सु ए दार के
औरों का पता क्या मगर ये अपना नसीब
हाथों पर हैं लकीरें किस्मत के वार के
ऐ खुदा भरोसा तेरे वादों का क्या हो
देखें हैं हमने भी करतब अपने यार के
खो चूका यादों का कारवाँ इस गुबार में
समेटिये बिखरे हुए टुकड़े दिल ए ज़ार के
गुज़री है बहार होते उस सरापा नाज़ से
बयान किये है महक ज़ुल्फ़ ए पेच दार के
दर दर फिरे है तलब लिए सीने में जलन
के अब कहाँ देखे है वो सपने क़रार के
सु ए दार = Gallows; गुबार=dust cloud left by departing caravan; करतब = Tricks दिल ए ज़ार = pieces of the heart; सरापा नाज़.= proud figure पेच दार = twisted, entangled. क़रार = peace, contentment
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