मुझे देख हँस कर रोये कोई बात तो है
लार्ज़िश ए लब आँखें नम कोई बात तो है
जाता है किस तलब से उनकी महफ़िल में तू
गो प्यार नहीं रहा मुझसे मुलाकात तो है
अच्छा हुआ ले गए दिल ए नाकाम भी मेरा
दौड़े है लहू रगों में जज़्बात तो है
इतने साए हैं साथ किस किस से बात करूँ
तुम आओ ना आओ तुम्हारी सौगात तो है
और फिर चुपके तेरी गैरों से गुफ्तगू
क्या कहें तुमसे मगर कोई बात तो है
अब हम तेरी तहरीर का सबब जान गए तलब
शायर की यहां मानो कोई औकाद तो है
लरसिश ए लब = Trembling lips
सौगात = Gift
तहरीर = Writing
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