ये दुनिया जिसकी है वही संभाले Poem by Talab ...

ये दुनिया जिसकी है वही संभाले

ये दुनिया जिसकी है वही संभाले
सौंप चले हैं इसे उसी के हवाले

अब ठहरा ये हमारा आखिर का सफ़र
फिर कहिये तो हम किस किस से रजा लें

कभी दिल है तो कभी गुरु का आस्थान
वही आसियों को पनाह दे निकालें

आखिर आ गयी मुझको भी मसीहाई
आ तू मुझसे अपने मर्ज़ की दवा ले

तेरे सिवा और किसे कहें सबका खुदा
बन्दे हम और कहाँ जाकर पनाह लें

ना मिलेगी फिर कहीं ऐसी खुदाई
बस बेखुद होकर तू इसीमे नहा ले

हर दुश्मन को भी कर लेंगे सलाम
चलो दुनिया की ये रस्म भी निभा लें

बांधो अपना सामान अब निकलो तलब
कहीं ये दुनिया तुम ही को ना भा ले

आसियों = Sinners

Thursday, April 6, 2017
Topic(s) of this poem: love and life
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