हाए उन होटों की मुस्कान कुछ और है
अगरचे आखों की दास्ताँ कुछ और है
दौर ए बहार से गुज़र चूका हूँ मैं
अब मेरे सामने बयाबान कुछ और है
किन उम्मीदों से बनाया उसको तूने
देख ज़मीं पर तेरा इंसान कुछ और है
माना रस्म ए शहर रुस्वाई ए आशिक़ सही
पर तेरा यूं रुलाना मेरी जान कुछ और है
मिलें ना कभी और रहें भी खुश मिज़ाज
अभी मेरे दिलचस्प इम्तिहान कुछ और हैं
ज़िक्र ए खुल्द यूं आदम से सुना था मगर
वो जहाँ मिले ये गुलसितां कुछ और है
छोड़ चला हूँ दुनिया संभाले रखना
तेरे बिन जैसे लगती दुनिया कुछ और है
आ ही गए आखिर वही बातों में तलब
कहते ना थे उनकी ज़बान कुछ और है
अगरचे = Although
बयाबान = wilderness
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