वेदवाणी को आत्मसात कर, उपनिषदों का मर्म छुआ।
व्यास ऋषि के गहन मनन से, भगवद्गीता का जन्म हुआ।।
जीवन है एक कर्मक्षेत्र, एक पुण्यक्षेत्र, एक धर्मक्षेत्र।
घुलते हैं संदेह-अनिश्चय, खुल जाते हैं ज्ञाननेत्र।।
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