Wednesday, April 5, 2017

सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं Comments

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सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं
हाल ए दिल क्या है सर ए आम लिख दूं

सियाही से निखरते नहीं कभी जस्बाद
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Talab ...
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