अस्तित्व
आज का मनुष्य अपना अस्तित्व भूल चुका है,
चंँद पैसे कमाने पर अपने "वज़ूद" से अपने आप को दरकिनार कर चुका है।।
...
Read full text
मनुष्य के जीवन की एक कड़वी सच्चाई बड़ी खूबी से प्रस्तुत की आपने अपनी कविता में, पढ़कर अच्छा लगा, जिस संजीदगी से आपने जीवन को परखा है उसकी जितनी तारीफ की जाये काम है..10*****
आज का मनुष्य अपना अस्तित्व भूल चुका है, भूल गया वो गलिया जिसमें कभी वो नँगा घुमा करता.... //.... आपके अपने विवरण के अनुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि वह जो पहले नंगा घूमा करता था, आज भी बादशाह वाली जादुई कमीज पहन कर नंगा ही घूम रहा है. बहुत बहुत धन्यवाद.
Power and money ruin all This is were humility play the role. Understanding this takes whole life. If you abide in humility Power and money obey completely. We need to know how to use our bit intelligently. Very beautiful and touchy poetry. Bohut sare sabdo ka hindi nahi aata issliye angreji me Uttar diya.
दिल को छू जाने वाली कविता। सच को बखूबी बयान किया है। ढेरों दाद शरद। ५*