अभी तो कई मौसमों कई हवाओ के बाद आएगा
मग़र कोई तो रुत भी आएगी
जब, इस सूखे शजर में खुमार आएगाll
यूँ ही ज़र्रा ज़र्रा लूटता रहा जो खुदको ओरो के लिए
यकीन रख, तेरे इन मुतमईन हाथो में भी एकदिन गुलाब आएगाll
पाँव छलनी हैं तेरे मग़र तू क्यों डरता है
मरने से पहले ही सही मग़र हौसलों में उबाल आएगाll
जिंदगी भर जिसने जिंदगी से जंग की है
यकीन रख, तेरी फ़टी पोशाक के टुकड़े से एक दिन रेशम का थान आएगाll
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Laajawaab......tremendous poem....lovely creation.....loved it :)