आज का नेता
यह कहलाते"नेता" हैं
और आम आदमी का फाड़ते कुर्ता हैं
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नेतागिरी की पोल खोलती जोरदार कविता. आपके हर शब्द से इनकी असलियत का पर्दाफाश होता है. ये जनता के सेवक होने का नाटक करते हैं लेकिन उसी जनता के दुःख दर्द को देखना नहीं चाहते. धन्यवाद. जनता के पैसों पर ऐशकर जाते फिर यह अपनी सत्ता मे इतने मगरूर हो जाते कि आम जनता को भूल जाते
Bahut sahi rachna. Har baat sach baya karte. Ye neta hamare bas naam ke dost hai to dushman se bhi badhkar. Bahut khoob.
Wah wah Neta ki pol khol di aapne सत्ता के भूखे यह लोग अपने संस्कार भूल जाते रह - रह एक दूसरे पर कीचड़ उछालते..........Bahut satik aur sahi kaha aapne.100+++++