क्यूं होती पथरीली जीवन की राहें,
क्यूं न मिलते कोमल फूल यहां।
क्यूं होती खुशी के लम्हों के बाद,
जलते से जीवन की राहें यहां।
...
Read full text
बहुत बहुत धन्यवाद आपको, इस कविता पर इतने प्यारे से कमेंट्स देने के लिए
आपने अपनी इस कविता में मानव जीवन में सुख और दुःख से जुड़े चिरंतन सत्य को जानने का अच्छा प्रयास किया है. आदिकाल से मानव इन प्रश्नों के उत्तर खोजता रहा है. धन्यवाद, बहन. कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ: मालिक तूने क्यों न दिया / सदा का हर्षोल्लास यहां / इतनी सुन्दर रचना करके / दुखों का दाह क्यों दिया तुमने?
bahut sundar poem jeevan ki raahe.hakikat me kai logo ki jindgi aisi hi hai.