Friday, April 15, 2016

जीवन की राहें... Comments

Rating: 5.0

क्यूं होती पथरीली जीवन की राहें,
क्यूं न मिलते कोमल फूल यहां।
क्यूं होती खुशी के लम्हों के बाद,
जलते से जीवन की राहें यहां।
...
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Pushpa P.
COMMENTS
sandhya patsaria 09 July 2022

bahut sundar poem jeevan ki raahe.hakikat me kai logo ki jindgi aisi hi hai.

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Pushpa P Parjiea 26 May 2016

बहुत बहुत धन्यवाद आपको, इस कविता पर इतने प्यारे से कमेंट्स देने के लिए

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Rajnish Manga 15 April 2016

आपने अपनी इस कविता में मानव जीवन में सुख और दुःख से जुड़े चिरंतन सत्य को जानने का अच्छा प्रयास किया है. आदिकाल से मानव इन प्रश्नों के उत्तर खोजता रहा है. धन्यवाद, बहन. कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ: मालिक तूने क्यों न दिया / सदा का हर्षोल्लास यहां / इतनी सुन्दर रचना करके / दुखों का दाह क्यों दिया तुमने?

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