कभी राह में घिसटते किसी लाचार अपंग भिक्षुक को देख कर मन में करुणा जाग उठती है,
तो कभी फूलों से भरे किसी बाग में प्रकृति का असीम सौन्दर्य देख मन शांति से भर जाता है |
कभी किसी श्रृंगारयुक्त युवती को देख कर मन आकर्षित होता है,
तो कभी किसी हास्य कविता पर खिलखिलाकर हंस पड़ता है |
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khoobsurat sandesh is kavita ke madhyam se parhne waalo tak pohonchaya hai. bohot shukriya.