Saturday, February 6, 2016

ग़ज़ल ए गुलदस्त Comments

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खुशियां मिले जहाँ ऐसे दूकान देखे है।
खरीद कर खुशियों को होते परेशान देखे है।

मेहनत से तराशे पथरो को मैंने।
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vicky (Anand) Anand
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Rajnish Manga 06 February 2016

आप बहुत अच्छा लिखते हैं, विकी जी. इस गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल की अन्य रचनाओं का इंतज़ार रहेगा. मेरी शुभकामनायें. (गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल = ग़ज़लों का गुलदस्ता)

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Vicky Anand 06 February 2016

Thanks a lot sir.

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Vicky Anand 06 February 2016

जय हिन्द जय भारत

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