एम पी के बुढ़ऊ आका
रंगे हाथ वो गिरफ्तार हैं डाल रहे थे हुस्न पे डाका.
बड़बोले भोपूजी गुप-चुप मचा रहे थे धूम-धड़ाका.
लाज-शर्म सब घोल पी गए ले ली है इज्जत से कट्टी.
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बढ़िया कविता लेकिन कटाक्ष किस बात का? क्या किसी ने चोरी की है? आजकल लोग बिना शादी किये साथ साथ रह लेते हैं. जहाँ अमरमणि त्रिपाठी जैसे दागदार व्यक्ति अपनी पत्नी के होते हुए एक कुंवारी कवियित्री को गर्भवती बना कर मार डालते है, वहाँ आप एक अच्छे भले व्यक्ति पर इसलिए व्यंग्य कर रहे हैं कि हमारे दकियानूसी समाज की दृष्टि में उसकी उम्र अधिक है?
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बढ़िया कविता लेकिन कटाक्ष किस बात का? क्या किसी ने चोरी की है? आजकल लोग बिना शादी किये साथ साथ रह लेते हैं. जहाँ अमरमणि त्रिपाठी जैसे दागदार व्यक्ति अपनी पत्नी के होते हुए एक कुंवारी कवियित्री को गर्भवती बना कर मार डालते है, वहाँ आप एक अच्छे भले व्यक्ति पर इसलिए व्यंग्य कर रहे हैं कि हमारे दकियानूसी समाज की दृष्टि में उसकी उम्र अधिक है?