Monday, November 2, 2015

वो माँ का एक साड़ी को तरसना याफ आता है Comments

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खिलोनों के लिए, भाई से लड़ना याद आता है
बिना दीवार वाला घर का अंगना याद आता है

छुपाती है मेरी बीवी बचत चावल के डिब्बे में
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Lalit Kaira
COMMENTS
Rajnish Manga 02 November 2015

Dazzling composition. ललित जी, इस अद्वितीय ग़ज़ल के लिए आपको धन्यवाद से पहले हृदय से बधाई देना चाहता हूँ. इसे पढ़ते हुए जो आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई, उसकी कोई तुलना नहीं है. मेरी शुभकामनाएं.

1 0 Reply
Lalit Kaira 21 December 2017

आपकी सस्नेह शुभकामना के लिए आभार आदरणीय...

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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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