Monday, November 2, 2015

जड़ भूलोगे तो पेड़ कितना फलेगा Comments

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होली के डंगर जाने कहाँ खो गए हैं।
सावन की झड़ी में अब कौन 'भट' भूटता है
अब तो चक्की चलती है फर्र फर्र
ओखल में धान कौन कूटता है
...
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Lalit Kaira
COMMENTS
Rajnish Manga 02 November 2015

कविता बहुत सारगर्भित है. मैं इस बात से सहमत हूँ कि भौतिक विकास के दौड़ में हम अपनी जड़ों से दूर होते चले जा रहे हैं. इससे संभव है हम आर्थिक शक्ति के रूप में अपना स्टेटस बढ़ा लें, लेकिन इसके साथ जो दिखावा, असंतोष, सहनशीलता की कमी और परस्पर सम्मान का ह्रास उपजेगा वह हमें ले डूबेगा. धन्यवाद. ये आम तले चौपाल अच्छा बुरा हर फैसला यहीं से होता था ....जड़ भूलोगे तो पेड़ कितना फलेगा

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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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