Mohit mishra

Mohit mishra Poems

आज फिर दर्द छलका।
आँख फिर आज रोयी।
प्रिये, दिल ने फिर से-
स्मृतियाँ संजोई।
...

आज निकला हूँ उड़ने की ख़्वाहिश लिये,
पर दुनिया के आसमान में कहाँ तक जाऊंगा,
माँ मै तेरे दामन में फिर लौट आऊंगा।
दूर आँचल से तेरे तलाशता हूँ जो,
...

उस रात रह गया,
दिये की थरथराती लौ पर,
काँपता सुबकता हमारा प्यार
स्याह निशा की स्तब्धता-
...

The Best Poem Of Mohit mishra

आज फिर दर्द छलका: -मोहित मुक्त

आज फिर दर्द छलका।
आँख फिर आज रोयी।
प्रिये, दिल ने फिर से-
स्मृतियाँ संजोई।

शिशिर रात में वह-
प्रणय के मधुर क्षण।
चांदनी की चादर पर -
हम और तुहिन-कण।
नर्म लबों पर-
पीयूष सा वो पानी।
हौले हवा में -
वो घुलती जवानी।
पल पास हैं सब-
तुम हीं हो खोयी।
आज फिर दर्द छलका।
आँख फिर आज रोयी।


शलभ बन जला मैं,
शिखा प्यार की थी।
बात इच्छाओं के,
बस सत्कार की थी।
जुदा मोड़ पर,
आज दोनों खड़े हैं।
गम के कड़े शूल,
दिल में गड़े हैं।
आँसू से तुमने-
भी आँखे भिगोई।
आज फिर दर्द छलका।
आँख फिर आज रोयी।

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