har mushkil hume kuchh na kuchh sikhaane aati hai..
जीवन बांस के पेड़ जैसे नही बल्कि पीपल या बरगद के पेड़ के जैसे होना चाहिए!
'जीवन' जीने की तैयारियों में ही निकल जाता है!
दूसरे से खुद की तुलना करना दूसरे से किसी प्रकार की आशा/उम्मीद रखना और दूसरों की आलोचना करना ही हमारे दुःख का प्रमुख कारण हैं! !