Er Vikas Tripathi

The Best Poem Of Er Vikas Tripathi

चाहे जितनी फब्तियाँ कस लो...

चाहे जितनी फब्तियाँ कस लो, मुझे ना चाहने वालों,
मेरी तकदीर को उसने कुछ इस तरह से लिखा है;
कि गिरता हूँ, फिर गिरता हूँ, और गिर के जब उठता हूँ,
ऊफनते से भँवर में भी, पुरी मस्ती से चलता हूँ...

Er Vikas Tripathi Comments

Sakshi 17 August 2018

Very beautiful poem

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