जितना दिल से तूने दूर किया है उतना दूर तो तेरा शहर भी नहीं ।।
क्या तेरे छत से भी चाँद तन्हा दिखता है या तेरे दिल में मेरी जगह कोई और धड़कता है
मेरे हृदय की रिक्तियों के लिए कोई विकल्प नहीं एक मात्र तुम हीं हो जिससे जीवन की तर्क दी जाए चाहे पूर्ण, अपूर्ण, उचित, अनुचित जो भी कहा जाए हम समुचित तभी हैं जब शामिल तुम्हें किया जाए
'प्रेम' स्त्री को श्रृंगार और पुरुष को धन कमाने के लिए प्रेरित करता है । : -आनंद प्रभात मिश्रा
अगर कर सकते हो तो बस प्रेम करो अस्वीकृति के बाद भी प्रेम उसी से करो.. : -आनन्द प्रभात मिश्रा
हाथ पकड़ने वाला हर इंसान आपका तलबगार नहीं होता, , कुछ लोग अपने लड़खड़ाए कदम को संभालने के लिए भी हाथ पकड़ लेते हैं.. : - आनन्द प्रभात मिश्रा